
पौराणिक काल में ऋषि मुनि कई श्राप और वरदान दिया करते थे। कुछ श्राप संसार के लोगों की भलाई के लिए होते थे तो कुछ के परिणाम बेहद घातक होते थे।
चलिए जानते हैं तीन ऐसे श्राप के बारे में जिनकी वजह से कलयुग हावी हुआ।
युधिष्ठिर का स्त्रियों को श्राप
प्रमुख ग्रंथ महाभारत के अनुसार युद्ध समाप्ति के बाद माता कुंती ने जब पांडवों को बताया सूर्यपुत्र कर्ण उनका सबसे बड़ा भाई था तो पांडवों ने कर्ण का विधिवत अंतिम संस्कार किया। इसके बाद युधिष्ठिर ने संपूर्ण स्त्री जाति को यह श्राप दिया कि आज से स्त्री कोई भी बात को रहस्य नहीं रख पाएंगे कोई भी बात स्त्रियों के अंदर नहीं रह पाएगी।
अर्जुन को उर्वशी का श्राप
महाभारत काल में अर्जुन दिव्यास्त्र पाने के लिए स्वर्ग गए थे। वहां पर उर्वशी नाम की अप्सरा की नजर अर्जुन पर पड़ी और उर्वशी अर्जुन पर मोहित हो गई। जब उर्वशी ने यह बात अर्जुन के सामने रखी कि वह अर्जुन को प्रेम करती है तो अर्जुन ने उसे कहा वह अर्जुन की माता समान है। इस बात पर उर्वशी को बेहद गुस्सा आया और उर्वशी ने अर्जुन को कहा तुम क्यों नपुंसक की तरह बात कर रहे हो इसलिए मैं उर्वशी तुम्हें श्राप देती हूं कि तुम नपुंसक हो जाओ और तुम्हें स्त्रियों के बीच नृतका बंद कर रहना पड़े और यही श्रॉफ अज्ञातवास के दौरान अर्जुन के काम आया।
परीक्षित को श्रृंगी ऋषि का श्राप
एक समय राजा परीक्षित वन में शिकार करने गए हुए थे। राजा परीक्षित को वन में समिक नाम के ऋषि दिखाई दिए ऋषि तपस्या में लीन थे। राजा परीक्षित ने कई बार ऋषि से बात करने की कोशिश की लेकिन ऋषि मौन रहे। राजा परीक्षित को इस बात पर गुस्सा आया और अपने क्रोध में उन्होंने एक मरे हुए सांप को ऋषि के गले में डाल दिया। जब यह बात ऋषि के पुत्र सुरंगी को पता चली तो उन्होंने राजा परीक्षित को श्राप दिया। आज से 7 दिन बाद राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नाग के डसने से होगी। जब तक राजा परीक्षित जीवित रहे कलयुग ने हावी होने का साहस नहीं किया। लेकिन परीक्षित की मृत्यु के बाद कलयुग पूरी धरती पर हावी हो गया।
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