कल्कि कोचलिन ने वाटर बर्थ टेक्नीक से दिया बेटी को जन्म, जानिए क्या होती है वाटर बर्थ डिलीवरी!
11 months ago Harshita Negi
नई दिल्ली: बॉलीवुड एक्ट्रेस कल्कि कोचलिन ने हाल ही में इंस्टाग्राम पर अपनी डिलीवरी की फोटो साझा की. कल्कि कोचलिन ने कुछ दिन पहले ही एक बेटी को जन्म दिया है. इसका नाम कल्कि ने Sappho रखा. इस बच्चे की डिलीवरी वॉटर बर्थ तकनीक से हुई. इसके लिए उन्होंने अपने डॉक्टर और उनकी टीम का धन्यवाद कहा है, जो 17 घंटे लंबे प्रसव पीड़ा में उनके साथ रहीं. उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर शेयर करते हुए बताया कि उन्होंने वाटर बर्थ डिलीवरी के जरिए अपनी बेटी का जन्म दिया है. उन्होंने फोटो के साथ कैप्शन में लिखा, 'Doula, मैं शब्दों के माध्यम से नहीं बता सकती कि बच्चे को जन्म देना अनुभव कैसा होता. यह एक प्राचीन ग्रीक शब्द है और इसका मतलब होता है 'एक महिला की सहायक'. यह अब महिलाओं का सहायता प्रणाली बन चुका है, जो गर्भावस्था और लेबर के दौरान महिलाओं की मदद करता है. मुझे एक दाई के काम के बारे में तब तक नहीं पता चला था जब तक मैं खुद प्रेग्नेंट नहीं हुई थी.'इस बात का खुलासा कल्कि के इंस्टाग्राम पोस्ट से लगाया जा सकता है. इसके साथ ही लोगों के मन में यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर वॉटर डिलीवरी क्या होती है, कैसे की जाती है. मां बनने का सुख अलग ही है. लेकिन नौ महीने तक पेट के भीतर जिस बच्चे को पल-पल महसूस किया हो जब उसके दुनिया में आने का समय आता है तो हर औरत के मन में एक ड़र होता है. ड़र इस बात का कि बच्चे के जन्म के समय उसे कितने दर्द से गुजरना होगा. घर वाले नॉर्मल डिलीवरी की बात करते हैं तो कहीं न कहीं अंदर ही अंदर हर औरत सिजेरियन के बारे में सोचने लगती है, क्योंकि जिस दर्द के बारे में उसने सुना है उसे फेस करने का अलग ही डर होता है. इसी ड़र के कारण कई बार महिलाएं नॉर्मल डिलीवरी करा ही नहीं पाती. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिजेरियन और नॉमर्ल डिलीवरी के अलावा एक और विकल्प होता है, जो कम दर्द वाला होता है और बच्चे के लिए सेफ भी होता है.
वाटर बर्थ डिलीवरी-
वाटर बर्थ डिलीवरी प्रसव करवाने का एक प्रकार है, जैसे सिजेरियन या नार्मल डिलीवरी में होता है. यह भी कहा जा सकता है, कि वाटर बर्थ डिलीवरी नार्मल डिलीवरी का ही एक आधुनिक प्रकार है, जिसके जरिए प्रसव के दौरान होने वाली पीड़ा को कम किया जा सकता है. कहते हैं, कि एक प्रसव के दौरान उतना दर्द होता है, जितना की हमारे शरीर की सारी हड्डिया एक साथ टूटने पर होगा. इसलिए यह तकनीक को अपनाया गया है ताकि प्रसव के समय मां को पीड़ा कम हो. एक अध्यन में यह पाया गया है, कि वाटर बर्थ डिलीवरी में नार्मल डिलीवरी से 40 प्रतिशत कम पीड़ा होती है. इसी के साथ साथ मां और शिशु दोनों को ही इन्फेक्शन होने का खतरा बहुत कम हो जाता है.
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ऐसे किया जाता है 'वाटर बर्थ डिलीवरी'
वाटर बर्थ डिलीवरी से जो योनि में खिचाव होती है, वो भी कम हो जाती है, क्योंकि गरम पानी के संपर्क में आने से टिश्यू बहुत सॉफ्ट हो जाते हैं. वाटर बर्थ डिलीवरी के समय महिला गरम पानी में रहती है, जिसकी वजह से शरीर में तनाव भी कम हो जाता है. वाटर बर्थ डेलिवरी का अर्थ यह है कि प्रसव के दौरन मां के शरीर को गर्म पानी के एक टब में रखा जाता है और बच्चे का जन्म भी उसी गर्म पानी में होता है. इस प्रक्रिया के लिए एक गुनगुने पानी का बर्थिंग पूल बनाया जाता है. और इस पूरे पूल का तापमान एक जैसा रखने के लिए इसमें कई उपकरण भी लगे रहते हैं. जैसे कि इन्फेक्शन को रोकने के लिए, वाटर प्रूफ उपकरण इत्यादि. बर्थिंग पूल की क्षमता लगभग 400 लीटर होती है. यह पूल तकरीबन ढाई से तीन फीट का हो सकता है. यह महिला के शरीर के अनुसार एडजस्ट हो सकता है. प्रसव पीड़ा शुरू होने के तीन से चार घण्टे के बाद महिला को इसमें ले जाया जाता है. शिशु का जन्म भी पानी के भीतर होता है.